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मंज़िल अभी दूर हैं..

 मंज़िल अभी दूर हैं..  कहने को तो ये सफ़र यू ही चलता रहेगा  आज एक सपना मरा हैं कल दूसरा मरेगा  पैरों के ये छाले यु ही जख़्मी रहेँगे  साँसे रहेंगी तब तक ये कदम न रुकेगा  मंज़िल अभी दूर हैं. ..  आज तुम्हारा तो कल मेरा रहेगा।  यू तो मुसाफ़िर कितने आये और कितने गए  ये डगर का धूल यु ही उड़ता रहेगा  यहीं मिट्टी है यही आसमां हैं  ये समय का पहिया यू ही चलता रहेगा   मंज़िल अभी दूर हैं. ..  आज तुम्हारा तो कल मेरा रहेगा।