Posts

Showing posts from December, 2020

मैं किसान हूँ साहेब, आतंकवादी नहीं।

Image
मैं किसान हूँ साहेब, आतंकवादी नहीं।  धरती के भीतर से सोना उगाने वाला, भोरे - भोरे जग के सूरज को चुनौती देने वाला , मैं किसान हूँ साहेब , आतंकवादी नहीं।  जब चूनाव था , तब मैं  ..... मैं था।  आपके भाषणों में,  आपके चुनावी वादों में, यहां तक की  आपके मैनिफेस्टो में, मैं किसान ही था।  फिर ऐसा क्या हुआ साहेब , की आप मुझसे ख़फ़ा हो गए।  जब आपके माँ-बाप ने पहला कौर खिलाया होगा वो भी किसी किसान ने ही उगाया होगा।  बस , आपके इस जी हुजूरी का क्या कहु  इतना ही कहना चाहता हूँ की ,  मैं किसान हूँ साहेब, आतंकवादी नहीं।  मुझे इस काल्पनिक सीमा का क्या पता , मेरा खेत-खलिहान ही मेरी पहचान हैं।  ना मुझे पाकिस्तान , ना ही खालिस्तान का पता , बस, दिल में तो शुरू से ही हिंदुस्तान हैं।  आज मैं खड़ा हूँ , आपके पास आने के लिए, पता नहीं किस किस से लड़ा हूँ।  देखते ही देखते , मुझे क्या से क्या बना दिया।  मैं तो बस इतना ही कहना चाहता हूँ की,  मैं किसान हूँ साहेब, आतंकवादी नहीं।