बचपन से ही मैंने सुना था, "मेरी मीटी मेरा देश"। यह कहावत हमारे दादा-दादी से लेकर माता-पिता तक कभी न कभी हमें सुनाई जाती रही। लेकिन उस दिन आया जब मैंने इसका सच्चाई से सामना किया।


हमारा छोटा सा गाँव हरियाणा में स्थित था। यहाँ की मिट्टी में ही कुछ खास था। वहां का हवा, उस जगह की मिट्टी की खुशबू, सब कुछ अद्वितीय था।


मेरे पिताजी एक छोटे से खेत में काम करते थे, लेकिन उनका उत्साह हमें हमेशा प्रेरित करता था। हर साल किसान महोत्सव में हमारा गाँव अपनी फसलों के साथ बहुत से पुरस्कार जीतता था। और उस दिन हम सभी गाँववाले एक-दूसरे के साथ मिलकर खुशियाँ मनाते थे।


हमारा गाँव हमेशा एक साथ रहने वाला परिवार की भावना से भरपूर था। हर व्यक्ति अपने-अपने क्षेत्र में मेहनती था, और उनका संघर्ष देश के लिए एक अनमोल योगदान था।


एक दिन, स्कूल में हमें यह सिखाया गया कि हमारा गाँव एक मॉडल गाँव के रूप में चयनित हो गया है। इससे मेरी आत्मविश्वास बढ़ा और मैंने महसूस किया कि "मेरी मीटी मेरा देश" सिर्फ़ कहावत नहीं, बल्कि यह एक जीवन शैली है जो हमें गर्वित बनाती है।


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