सपना - हक़ीक़त और कल्पना का अनोखा मेल
सपना - हक़ीक़त और कल्पना का अनोखा मेल भाग - 1 उस दिन हम बहुत खुस थे। एक अनजानी सी , अनोखी सी मुस्कान थी सबके चेहरे पर। आख़िर क्यों ना हो , दिल्ली जाने की खुसी कम थोड़ी न होती है। मैंने पहले ही पुरे गांव में ये बात फैला रखी थी की हम सब दिल्ली जाने वाले है। मैं अपने स्कूल गया हुआ था। स्कूल में मेरे दोस्त मुझसे पूछ रहे थे की आखिर हम दिल्ली क्यों जा रहे हैं। मुकुल ,जो की मेरा सबसे प्रिय दोस्त था - उसने मुझसे वही सवाल किया जो सब पूछ रहे थे। मेरे पास उसका कोई ढंग का जवाब नहीं था। फिर भी मैंने उन लोगो से कहा - इस गांव में कुछ नहीं रखा हैं। हम लोग माया नगरी में जा रहे हैं। वहा सुना है की ,जो भी जाता है वो आदमी बन जाता हैं। फिर मुकुल ने मुझसे कहा - तो इसका मतलब जो गांव में रहते है वो जानवर हैं। इस तर्क का मेरे पास कोई जवाब नहीं था। मैंने सोचा की अब इस विषय को यही पर छोड़ते हैं और घर की तरफ चलते हैं। मैंने सबसे बोला की मुझे देर हो रही है तो मुझे चलना चाहिए। वो पल अभी भी मुझे याद है। सबके आँखों में आंसू थे। मेरे आँखों में से भी गंगा -जमुना ब...