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Showing posts from July, 2018

सपना - हक़ीक़त और कल्पना का अनोखा मेल

सपना - हक़ीक़त और कल्पना का अनोखा मेल  भाग - 1  उस दिन हम बहुत खुस थे। एक अनजानी सी , अनोखी सी मुस्कान थी सबके चेहरे पर। आख़िर क्यों ना हो , दिल्ली जाने की खुसी कम थोड़ी न होती है।   मैंने पहले ही पुरे गांव में ये बात फैला रखी थी की हम सब दिल्ली जाने वाले है।  मैं अपने स्कूल गया हुआ था। स्कूल में मेरे दोस्त मुझसे पूछ रहे थे की आखिर हम दिल्ली क्यों जा रहे हैं। मुकुल ,जो की मेरा सबसे प्रिय दोस्त था - उसने मुझसे वही सवाल किया जो सब पूछ रहे थे।  मेरे पास उसका कोई ढंग का जवाब नहीं था। फिर भी मैंने उन लोगो से कहा - इस गांव में कुछ नहीं रखा हैं। हम लोग माया नगरी में जा रहे हैं। वहा सुना है की ,जो भी जाता है वो आदमी बन जाता हैं।  फिर मुकुल ने मुझसे कहा - तो इसका मतलब जो गांव में रहते है वो जानवर हैं।  इस तर्क का मेरे पास कोई जवाब नहीं था। मैंने सोचा की अब इस विषय को यही पर छोड़ते हैं और घर की तरफ चलते हैं। मैंने सबसे बोला की मुझे देर हो रही है तो मुझे चलना चाहिए। वो पल अभी भी मुझे याद है।  सबके आँखों में आंसू थे।  मेरे आँखों में से भी गंगा -जमुना बह निकली।  क्या करता मैं , आखिर वो मेरे गांव

ना जाने ये अँधेरा कब हटेगा

ना जाने ये अँधेरा कब हटेगा  आज की नई रौशनी बेहाल है  कल के सूरज पर बवाल है  भविष्य के धुंधले तस्वीर पर  वर्तमान के काले आईने पर  ये अँधेरा कब से छाया है  ना जाने ये अँधेरा कब हटेगा।  गुमराह हो रहे हैं सब धर्म के नाम से  देश बँट रहा है कुछ लोगो के कर्म के नाम  से  जो अंजाम था सत्तर साल पहले  आज उसे मंजिल तक पहुंचाया जा रहा हैं जाती के नाम से  अभी भी वक्त है  इरादे भी सख्त है  फिर भी  आज की नई रौशनी बेहाल है  कल के सूरज पर बवाल है  भविष्य के धुंधले तस्वीर पर  वर्तमान के काले आईने पर  ये अँधेरा कब से छाया है  ना जाने ये अँधेरा कब हटेगा। देश एक , धर्म एक , भाषा एक , पहचान एक, फिर भी क्यों हम बँट जाते हैं  भारतीय होने से क्यों कतराते हैं  कुछ लोगो के हाथो गुमराह हो जाते हैं  जरूरत है एक नई रौशनी की  जरुरत है एक नए सूरज की  फिर भी  आज की नई रौशनी बेहाल है  कल के सूरज पर बवाल है  भविष्य के धुंधले तस्वीर पर  वर्तमान के काले आईने पर  ये अँधेरा कब से छाया है  ना जाने ये अँधेरा कब हटेगा।

ऐ जिंदगी कोई तो इशारा दे

ऐ  जिंदगी कोई तो इशारा दे ऐ  जिंदगी कोई तो इशारा दे  बस जीने का सहारा दे  फँसा हूँ जिंदगी के इस भंवर में  निकलना मुश्किल है  फिर भी  ऐ जिंदगी तू कोई तो किनारा दे।  भले लाख कोशिशे करे किस्मत  यूँ तू तो मुँह मत मोड़ अपना  अभी भी जान बाकि है मुझमे  अभी भी तुझसे लड़ने का जज्बा बाकि है मुझमे  ऐ जिंदगी  तू तो यूँ मुझे  यूँ बिच मझधार में न छोड़  बस जीने का सहारा दे फँसा हूँ जिंदगी के इस भंवर में  निकलना मुश्किल है  फिर भी  ऐ जिंदगी तू कोई तो किनारा दे।

I remember.....

I remember, how the yellow color, picks her to the world of nothingness, as it increases, increases with lovingness my eyes still remember, the first sight of her brown eyes, as the butterfly flies to the world of imagination. she steps forward to the world of perception.