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Showing posts from September, 2018

I am alone....

I have written it for one's who has the sense of loneliness. There are two boys who are talking about loneliness. Let's have a look on it. I am not alone. ...... This rose isn't with me.  That fragrance of marigold,  Didn't touched my soul.  I am feeling... Oh.. Sorry to this world.  I even can't feel,  can't  Express myself to you all.  And this world tagged me that  I am alone. ...  Listen,  you are in the illusion, Illusion of your thoughts,  The thoughts which are not real.   You are trying to escape from the  Reality of this world.   But,  my dear,  Still,  I can perceive the inner beauty,  The inner beauty of this world.  I am not alone then how can you be... . How can you say that...  You are alone...  I am a drop of water, who  Can't flow with the river.  I can't mix with the river of the ideas,  and melt as the ice of individual, to the ocean of the souls.  Therefore, I proclaimed myself

अँधेरा हो चला हैं

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अँधेरा हो चला हैं  सुबह की रौशनी अब साथ नहीं  दोपहर के धुप में अब वो बात नहीं  शाम के छाँव में अब वो ठंडक नहीं  रात के रागिनी में अब वो मंडप नहीं  कह सकते है अब  कह सकते है अब की  अँधेरा हो चला है।  जाने क्या से क्या हो गया  समय का चक्का यु कैसे घूम गया  मन में अब वो आस नहीं  दिल ही दिल को जानता है  अब वो दिल भी पास नहीं  कह सकते है  कह सकते है अब की  अँधेरा हो चला है।  दुनिया में सब कुछ है  पर, पर दुनिया में कुछ खास नहीं  धरती पे जो फूलो का बगीचा था  उस बगीचे में अब वो बात नहीं  ज्ञान की ज्योति जो हमने पहले जलाई थी  अब उस ज्योति पर विस्वास नहीं  ये दुनिया तो अब  ये दुनिया तो अब और  दुनिया से दूर होती जा रही है  पर वापस आने का कोई आस नहीं  गहरे अँधेरे के तरफ जा रहे है सब  पर किसी को ये समझ नहीं आ रहा है की  क्या मिलेगा  उस अँधेरे में प्रकाश ढूंढने से  मैं तो अब भी वही कहूंगा  की  कह सकते है  कह सकते है अब की  अँधेरा हो चला है। 

अभी तो सफर शुरू हुआ है

अभी तो सफर शुरू हुआ है  चंद काँटों से डर  के, अगर तुमने अपना रास्ते बदलने का सोच रहे हो,  तो ये समझ लो, अभी तो सफर शुरू हुआ है। रास्ते आसान नहीं है, ये जानते हुए भी सपनों में जी रहे हो, तो ये समझ लो, अभी तो सफर शुरू हुआ हैं। मिलेंगे लोग बहुत, कुछ तुम्हारे साथ होंगे तो कुछ तुम्हारे सोच से भी दूर, अगर तुमने अपने और दुनिया के बिच एक दिवार बना रखा है, और सोचते हो की इस दिवार से लोगो के बाणो से बच जाओगे, तो ये समझ लो, अभी तो सफर शुरू हुआ हैं। हर कदम पे एक नया पैगाम है, जिंदगी भी इसी का एक आयाम हैं, यु जो तुम अपनी ही एक अलग दुनिया बनाना चाहते हो एक नया आसमां चाहते हो , तो ये समझ लो , अभी तो सफर शुरुर हुआ हैं।