लॉकडाउन

लॉकडाउन 








रामविलास - अरे ओ बिटिया , पानी ले आ रे।  बहुत जोर से प्यास लगी है।

शिल्पी- हा , बापू हम ला रहे है। थोड़ा धीरज रखो। 
रामविलास- कल होली है न।  देख न, तोहार मइया बिहार में का करत होगी।  इ खेदरवा भी ना , का जरुरत थी उसको मुम्बई जाने की।  का बढ़िया के हमनी के सब यही दिल्ली में ही रहतीसन।
  
शिल्पी - बापू , हमरा के माई के बहुत याद आवत है।  पता नहीं कैसे रह रही होगी वो। एक आँख तो भगवान छीन ही लेहलन।  दुसरको आँख के पता न , लउकत होखी की ना। 

रामविलास - छोर शिल्पी , काल होली बाटे। हम जात बानी सामान लियावे। काल पुवा बनइहे। 

शिल्पी - ठीक बा बापू। 

(होली का दिन )

रामविलास - वाह शिल्पी।  पुवा त अपना माई खानी बनवले बाड़ू। अपना घर के याद आ गइल।  देख ना।  काले खेदरवा फ़ोन कइले रला।  उ टिकट करवइले बा 22 मई के। हमहू जा तानी टिकट करवाए।  लिचवी के टिकट त मिलिए जाइ। इ साल गांव जाये के लिखल बाटे।  जा तानी हम। ई गेटवा बंद कर ल बबुनी। 

शिल्पी - ठीक बा बापू।  अगर रिजर्वेशन ना मिले त वैटिंगे ले लिह। ठीक बा। 

(टिकट करवा कर रामविलास अपने घर की तरफ निकलते है तभी उनको अपना दोस्त मिलता है। )

मनोज - का हो मिस्त्री।  काम होता कहीं?

रामविलास - कहा काम होता। ओने केतना दिन से त सरकारे काम बंद कइले रलख।  अब त जून -जुलाई में ही काम मिली।  

मनोज - ठीके केहतारह।  अब जून में काम मिली।  एने कैसे आइल रलह ?

रामविलास - बस टिकट करवाए आइल रनी ह।  देखह  22 मई के टिकट मिलल बाटे लिचवी के। 

मनोज - बढ़िया बात बा।  हमहू टिकट करवैले बानी। उहो 22 मई के बा।  ई त अच्छा भइल।  अब साथही चल चलल जाइ। 

रामविलास - ठीक बा।  ई त आउर अच्छे बात हो गइल।  

(24 मार्च , लॉकडाउन 1 का अनाउंसमेंट )

शिल्पी -  बापू ........ई का होगईल।  अभी हम मालकिन के घर बात करत सुननी ह।  उ लो कहत रलख ह लो की अब 21 दिन तक घर में ही रहे के बा।  अभी अभी मोदी आके कहलहन।  अब का होखी।  मालकिन कहली ह की अब काम पे आये के कउनो जरुरत नइखे।  

रामविलास - ई का हो गइल।  चलह कउनो बात ना। हम एक महीना के राशन लिया दे तानी।  अभी 1 महीना खातिर त पैसा बरले बा।  तू टेंशन मत ल बबुनी। 

शिल्पी - ई सब उ कोरोना के वजह से भइल बा।  हम त मालकिन के कहत सुननी ह की सब इ चीन करवइले बा।  मालकिन कहत रली की मोदी जी से देर हो गइल।  दिसंबर से ही एयरपोर्ट पर अगर सही से चेकिंग भइल रहित त ई सब न होखित। 

रामविलास - अरे कउनो बात ना।  मोदी जी सब संभाल लिहन।  हमरा त उनपर पूरा भरोसा बा।  

शिल्पी - ठीके कह तारह बापू।  अब जाके , राशन लेकर आव।  

रामविलास - ठीक बा बबुनी।  

(14 मार्च , लॉकडाउन 1 का एन्ड और लॉकडाउन 2  का अनाउंसमेंट)

शिल्पी - बापू , ई लॉकडाउन त आउर बढ़ गइल।  अब त राशन भी नइखे आउर पैसा भी ख़तम हो गइल।  अब का होइ बापू ?

रामविलास - अच्छा , देखल जाइ। अभी त जा तानी हम राशन के देखे।  शायद लाला उधार दे देस।  

शिल्पी - ठीक बा बापू।  देखह अगर दे दी तब त ठीके बा। 

                                                    (राशन के दुकान पर) 

रामविलास - राम राम लालाजी।  एक महीना के राशन मिली का उधारे।  अगिला महीना पैसा दे डेम हम।  

लालाजी - क्या बात कर रहे हो ? इस लॉकडाउन में कोई उधार मुधार नहीं।  जाओ जाओ ........ 

रामविलास - देख ली लालाजी।  तनी एने ओने हो जाइ तबो कउनो बात ना।  

लालाजी - अब जाओ भाई।  नहीं मिलेगा कुछ भी।  एक रास्ता बताता हु।  जाकर राशन के लिए अप्लाई कर दो।  केजरीवाल सरकार सभी को राशन दे रही है। 

रामविलास - हमरा पास त राशन कार्ड नहीं है। हमको कइसे मिलेगा ?

लालजी - अरे।  इ कूपन मिलेगा।  जिसके पास राशन नहीं है उसको भी मिलेगा।  

रामविलास - ठीक बा लालाजी।  बहुत बहुत धन्यवाद आपका।  

रामविलास - शिल्पी , राशन त न मिलल। लेकिन लालाजी रास्ता बतईले हवन।  हम जातानी उ कंप्यूटर सेंटर पे। 

शिल्पी - ठीक बा बापू।  जाइ , देखी उहवा का होता। 

( कंप्यूटर सेंटर पर )
रामविलास - बबुआ।  हमरा के राशन ...... उ इ कूपन खातिर अप्लाई करेके बा।  

सुमित - ठीक है।  लाइन में रहो। अभी टाइम लगेगा। 

रामविलास - ठीक बा बबुआ।  

सुमित - आ जाइये आप।  आधार कार्ड दीजिये आप। (रामविलास आधार कार्ड देते हैं ) मोबाइल न. बताइये अपना।   (रामविलास मोबाइल न. बताते है ) ठीक है।  लाइए 200 रूपये।  

रामविलास - बबुआ। हमरा पास त खुदही 50 रूपया बा। ए से ज्यादा नइखे।  

सुमित - अरे जाईये यहाँ से।  पता नहीं कहा -कहा से आ जाते हैं।  चलिए लाइन में से हटिये।  

(रामविलास उदास मन से घर जाते है ) 

रामविलास - बबुनी , पानी लियाव।  ई दुनिया हमनी खातिर नइखे।  जेकरा पास पैसा बाटे ओकरे सुख बा।  केहू तरह अगर हमनी के अपना गांव चल जयति सन तब ठीक रला।  उ खेदरवा के कउनो फोन आइल की न ?

शिल्पी -  हा बापू। तू सही कह तारह।  भइया फ़ोन कइले रलहन। उ अपना दोस्त सब के संगे पैदले गांव जातारन।  

रामविलास - मुंबई से पैदल केंगन जाई उ।  

शिल्पी - उनकरा संगे 10 थो ले आदमी बा।  

रामविलास - हमनीओ सन के चल चलती सन। कम से कम मौत त अपना धरती पर होइत। 

शिल्पी - अइसन बात काहे करतारह। सब ठीक हो जाइ।  

                      (4  मई  , लॉकडाउन 2  का एन्ड और लॉकडाउन 3   का अनाउंसमेंट)

रामविलास - (जोर से रोते हुए ) अरे ई का कइले भगवान। रे शिल्पी , हमनी सन के दुनिया उजर गइल रे।  अरे बाप रे बाप , ई का हो गइल .........

शिल्पी - का भइल बापू , का भइल।  बताओ ना , आखिर का भइल।  माई त ठीक बिया ना।  भैया त ठीक बारन।  
रामविलास - उ खेदरवा लखनपुर में गंगा जी पार करत रल रात में।  उ डूब गइल रे बबुनी। पता न कहा बह के चल गइल। अब हम का करी .......  अरे माई हो  ...... 

शिल्पी - बापू  ........ धीरज रखह।  माई के नानू बतईले ह?

रामविलास - अरे ओकरे त पहले पता चलल।  (तभी फ़ोन बजता है , शिल्पी जाती है फ़ोन उठाने। फ़ोन पर बात करते ही रोने लगती है जोर जोर से )

शिल्पी - अरे माई हो  ...... कहा चल गइलू हमनी के छोर के।  अरे माई हो ..... 

रामविलास - अब का भइल रे शिल्पी , बोल न का भइल।  तोर माई त ठीक बिया नु।  

शिल्पी - बापू , अब माई नइखे , उहो चल गइल हमनी के छोर के ........  

रामविलास - अब हम का करी।  हे भगवान , ई सब देखला से पहले हमरा के कहे न बुला लेल ह।  

शिल्पी - बापू , अब का कइल जाओ ?

रामविलास - बबुनी , हमनी के त दुनिया ही ख़त्म हो गइल।  चल बबुनी , केहू तरह हमनी के गांव चल चले के।  

शिल्पी - चल बापू. , हम सब सामान के ईगो मोटरी बांध दे तानी।   

(गांव जाते - जाते , उत्तर प्रदेश पहुंच गए।  गोरखपुर तक कैसे भी पहुंच गए। वो दोनों दिन में चल रहे थे तभी एक ट्रक से उनका एक्सीडेंट हो जाता है।  उनकी लाश ऐसे ही पड़ी थी रस्ते पर।  कोई उसे उठाने वाला भी नहीं था। क्या मजदूरों की यही कहानी रहेगी हमेशा या इसमें बदलाव आएगा  ........ ये तो मैं आप पर छोरता हु। कभी अपने दुनिया से बाहर निकल कर भी सोचिये।  हर कोई आपकी तरह खुशनसीब नहीं होता ....... ख़ैर छोड़िये , आपको क्या ? बस डीएनए और नेशन वांट्स तो know देखते रहिये और सोचिये की पाकिस्तान में क्या हो रहा है। किंग जोंग का ब्यूटी बम के बारे में देखिये। यही तो हमारे भारत का असली चेहरा दिखाते है।  ये मजदुर तो बस ऐसे ही हैं।  इनके जीवन का क्या मोल ........  )


by 

Sunil Kumar Sah

   


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