Patience - The basic unit of success
Patience - The basic unit of success
तुषाराणां प्राप्तोपि प्रयत्नों धर्म आत्मनः ।
महिमा च प्रतिष्ठां च प्रोक्तोsयारः श्रमस्यहि ।।
गायत्री का पाँचवाँ अक्षर ‘तु’ आपत्तियों और कठिनाईयों में धैर्य रखने की शिक्षा देता है— अर्थात- “आपत्तिग्रस्त होने पर भी सत्यता से प्रयत्न करना आत्मा का धर्म है। प्रयत्न की महिमा को जो जान जाते हैं, वही प्रतिष्ठा के हकदार होते हैं और कामयाबी का आन्नद लेते हैं।“
मित्रों, जीवन की आवश्यक वस्तुएं जब प्राप्त नही होती तब हम अधीर हो जाते हैं या कई बार किसी के चले जाने से हम विचलित हो जाते हैं। जिससे वर्तमान के साथ भविष्य को भी परेशानीयुक्त बना लेते हैं।
जीवन की सभी परेशानियों को धैर्य के साथ पार करते हुए आगे बढने वाले, अपने पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, जिन्हें दुनिया मिसाइलमैन के नाम से भी जानती है। हम सब के लिये एक जिवन्त उदाहरण हैं। आपने, अपना पूरा जीवन देश हित में लगाया है। आपका धैर्य के साथ सभी कार्यों को कर्मठता व ईमानदारी से संपादित करना आज लाखों लोगों के लिये आदर्श है। आपके प्रयासों का नतीजा है कि आज रक्षा विभाग मजबूती से खड़ा है। शुरुआती दौर में संघर्ष से जूझने वाले भारत रत्न से सम्मानित एपीजे अब्दुल कलाम साहब को देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होने का अवसर प्राप्त हुआ। 25 जुलाई, 2002 को राष्ट्रपति पद के लिये मनोनीत हुए।
मित्रों, कलाम साहब का कहना है कि, “धैर्य वो शक्ति है जो मलबरी वृक्ष के एक पत्ते को भी रेशम में बदल सकता है।“
“ज्ञानी काटे ज्ञान से, अज्ञानी काटे रोय।
मौत, बुढापा आपदा, सब काहु को होय।।”
कबीर दास जी के दोहे से ये स्पष्ट होता है कि, संसार में रहते हुए विपरीत परिस्थितियाँ अथवा आपत्तियाँ आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है किन्तु जो अपने विवेक को धारण किये हुए धैर्य के साथ आगे बढता है वही संसार में इतिहास रचता है। कहने के लिये तो संसार में शेर, हाँथी, सर्प आदि मनुष्य से अधिक शक्तिशाली प्राणी मौजूद हैं, परन्तु मनुष्य को छोङकर ऐसा कोई प्राणी नही है जिसके पास विवेक की शक्ती हो। मनुष्य अपने विवेक से महत्वपूर्ण कार्य कर सकता है और उन्नति के मार्ग को संपादित कर सकता है।
प्रकृति हमें कई माधयम से धैर्य का पाठ पढाती है। एक नन्ही सी चीटी सिखाती हैं कि धैर्य के साथ आगे बढो मंजिल तक पहुँच ही जायेंगे। दस में से नौ बार असफल होने के बाद भी दाना लेकर अपने बिल तक पहुँच ही जाती है।
कबीरदास जी कहते हैं-
“धीरे-धीरे रे मना धीरे सब कुछ होय।
माली सिंचे सौ घङा, ऋतु आए फल होय।।”
इसका आशय है कि एक बीज को पौधा बनने में एवं फल देने में समय लगता है जिसका हम सभी को धैर्य के साथ इंतजार करना चाहिये किन्तु धैर्य का मतलब ये कदापि न समझे कि कर्म करना बंद कर सिर्फ इंतजार करें क्योंकि कर्म तो जीवन की अनिवार्य प्रक्रिया है। बीज को पानी एवं खाद की भी आवश्यकता होती है सिर्फ बीज बो देने से ही फल नही मिलता। जीवन की इसी सच्चाई को हमें समझना चाहिये और अपने लक्ष्य को सफलता पूवर्क पाने के लिये धैर्य के साथ निरंतर प्रयास करना चाहिये। धैर्य तो वह तत्व है जो हमें श्रेष्ठ बनाता है।
मानवीय समता के प्रतीक, ‘दास कैपिटल’ पुस्तक के रचयिता महर्षी कार्लमार्क्स, जनता पर होने वाले अन्याय, शोषण तथा अत्याचारों के विरुद्ध हमेशा आवाज उठाये इस वजह से उन्हे आपना देश भी छोङना पङा, आर्थिक संकट का भी सामना करना पङा किन्तु वो पिछे नही हटे जिस भी देश में रहे मजदूरों के हित के लिये आवाज उठाते रहे। उनके इस नेक कार्य में उनकी पत्नी ने भी धैर्य और आत्म त्याग से उनका साथ दिया।
कहते हैं कि- “धैर्य वो सवारी है जो अपने सवार को कभी गिरने नही देती, ना किसी के कदमों में और ना ही किसी के नजरों में।”
मित्रों, आपत्तियाँ हमारे विवेक और पुरषार्थ को चुनौती देने आती हैं, जो इस परिक्षा में पास हो जाता है वही इतिहास रचता है तथा यश की जयमाल पहनता है। संसार में जितने भी महापुरुष हुए हैं, उनकी महानता का कारण धैर्य एवं सहिष्णुता ही है। धैर्य और विश्वास जीवन की वो कुंजी है जो सफलता के ताले को खोलती है।जिसके पास धैर्य है वो जो चाहे पा सकता है।
So Friends,” Be Patient, Good things will come to those who wait.”
Patience is bitter but its fruit is sweet. -Rousseau
patience is not simply the ability to wait- it's how we behave while we are waiting. - Joyce Meyer
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