आज फिर से बारिश आई है
आज फिर से बारिश आई है
हवाओं के सरसराने से ,
बादलों के गड़गड़ाने से ,
ये बयां हुआ हैं की
मचक कर , छमक कर ,
आज फिर से बारिश आई है।
ये धरती यूँ नाचने लगी फिर से ,
क्योंकि फूलों की सौगात आई है।
आसमान भी झूम के कह रहा है ,
इतने दिनों के बाद ,
एक लम्बे अरसे के बाद ,
खुशियों की फुहार आई है।
आज फिर से ,
कई ख्वाहिशो के साथ ,
आज फिर से बारिश आई है।
ये पानी की अमृत बुँदे जो धरती पर गिर रहे है।
ऐसा लग रहा है की हीर राँझा फिर से मिल रहे है।
मन से सरे मैल धोने ,
जीवन के खेत में उमंग की बीज बोने ,
देखो ,
देखो,
आज फिर से बारिश है।
written by Sunil kumar sah
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