क्या खूब कहा आपने।
क्या खूब कहा आपने।
सभी लड़ाइयों की जड़ हूँ मैं ,
हूँ मैं एक चीज़ परायी।
जन्म से ही बन गयी परेशानी ,
परिवार में किसी को न भायी।
इसको पढ़ा कर क्या होगा ,
ये तो है बस एक ज़िम्मेदारी।
परिवार की दुखो की वजह ,
है ये एक महामारी।
बस करो, अब बहुत हुआ।
आपके सोच की गहराई नाप ली मैंने
इस पर मैं क्या कह सकती हूँ
बस , धन्यवाद करना चाहूँगी
वाह , क्या खूब कहा आपने।
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