वो मेरे करीब आयी


वो मेरे करीब आयी



मै बैठा था दूर कहीं

वो मेरे करीब आयी ।

ये खता जो खता न थी

वो खता खता बन आयी ।


मेरे सपने कुछ और ही थे

वो सपनो में पंख सी लायी।

मै उड़ चला उसी के साथ

वो पँख ही तोड़ चली आयी।


कभी मेरी भी एक पहचान थी

वो कामयाबी सी मेरे पास आयी ।

चंद दिनों की रौशनी का उजाला जैसे

सारी जिंदगी का अँधेरा कर आयी ।


और क्या बताऊ उसके बारे में

खुद को यु छोड़ आयी ।

मै तो उसमे समां गया

वो मुझे ही छोड़  आयी । 

















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